सोमवार, 25 अप्रैल 2016

Shayari part 97

1. सोचता हू की बुझा दू मै ये कमरे का दिया,
अपने साए को भी क्यों साथ जगाऊ अपने !

2. किसी के दिल का दर्द किसने देखा है;
देखा है, तो सिर्फ चेहरा देखा है;
दर्द तो तन्हाई मे होता है;
लेकिन तन्हाइयो मे लोगों ने हमे हँसते हुए देखा है...!!

3. उसकी हसरत मेरी तकदीर में लिखने वाले,
काश उसको मेरी तकदीर में लिखा होता!

4. खुदा करे ये जिंदगी में मकाम आये,
तुजे भूलने की दुआ करू और दुआ में तेरा नाम आये ।

5. यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर,
कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।

6. महोब्बत कोई गुनाह तो नहीं है मगर.. ।
सज़ा भरपूर मिलती है ये और बात है.. ।

7. अब उसूलों का वज़न साथ में है
तो सफर तो मुश्किल होना ही था ..!!

8. मैं हमेशा ख़ुश रहता हु,क्यों? क्यूंकि मैं किसी से उम्मींद नहीं रखता। उम्मीदे हमेशा दर्द देती है......

9. किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है!!
कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा!

10. उन्हें लगता है उनकी चालाकियाँ हमें समझ नहीं आती,
हम बड़े आराम से देखते हैं उन्हें अपनी नज़रों से गिरते हुए.......