मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

Shayari Part.27

1- नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ कि दूकान से , हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि ..!!!!

2- बादशाह तो में कहीं का भी बन सकता हूँ
पर तेरे दिल की नगरी में हुकूमत करने का मज़ा ही कुछ अलग है ………”

3- ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में ,
मेरी मोहब्बत की तौहीन होगी,
मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा ,
और मेरी जान पैदल होगी.

4- “ वो जो हमसे नफरत करते हैं ,
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,
नफरत है तो क्या हुआ यारो,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।

5- एहसान नहीं है जिन्दगी तेरा मुझ पर ,
मैंने हर सांस की यहाँ कीमत दी है।।

6- तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है …
जिसका रास्ता बहुत खराब है …
मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा …
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है …

7- वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’
अपने मतलब के लिये और
हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था !

8- ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे ;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।

9- हमने दिल जो वापीस मांगा तो सिर जुका के.
बोले वो तो टुंट गया युहि खेलते खेलते…….

10- एक बार उसने कहा था
मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से
हमने खुद को भी नहीं देखा ”

Shayari Part.26

1- जब से पता चला है , की मरने का नाम है ‘ जींदगी ’;
तब से , कफ़न बांधे कातील को ढूढ़ते हैं !”

2- तू मेरे जनाज़े को कन्धा मत देना ,
कही ज़िन्दा ना हो जाऊँ
फिर तेरा सहारा देख कर..

3- भूल जाना उसे मुश्किल तो नहीं है
लेकिन काम आसान भी हमसे कहाँ होते हैं!

4- जो भी आता है एक नयी चोट दे के चला जाता है
ए दोस्त ,…. मै मज़बूत बहोत हु लेकिन कोई पत्थर तो नहीं

5- नाकाम मोहब्बतें भी बड़े काम की होती हैं
दिल मिले ना मिले नाम मिल जाता है..!

6- जो तुम बोलो बिखर जाऐंगे,
जो तुम चाहो संवर जाऐंगे,
मगर ये टूटना-जुड़ना
हमें तकलीफ बहुत देता है....

7- तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था खबर तो रहती …. सफर तय कितना करना है

8- कितनी झुठी होती है , मोहब्बत की कस्मेँ…. ।” देखो तुम भी जिन्दा हो , मैँ भी जिन्दा हूँ...

9- मुझे दफनाने से पहले मेरा दिल निकाल कर उसे दे देना …
मैं नही चाहता के वो खेलना छोङ दे …

10- याद आयेगी हमारी तो बीते कल को पलट लेना .. यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराते हुए मिल जायेंगे ..

सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

Shayari Part.25

1- दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर
बातें रह जाती हैं कहानी बनकर
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे
कभी मुस्कान तो कभी आखों का पानी बनकर.

2- जुबां कह न पाई मगर आँखे बोलती ही
रही...

कि मुझे सांसो से पहले तेरी जरूरत है..

3- तेरी आँखों में मुझे मेरे लिए प्यार देखा हे
तेरी आँखों में मेंने मेरा जहाँन देखा हे
खुदा भी आके बोले कि बोल बेटा तूजे क्या चाइए
तो भीड़ में भी मेरी नज़रों ने तूजे देखा हे

4- दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त उसकी बस एक बार वो कह दे कि मैं अमानत हूं तेरी ।.

5- पहचान कफन से नही होती है दोस्तों..!!
लाश के पीछे काफिला बयाँ कर देता है
रुतबा किसी हस्ती का है ...!!

6- धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल
अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका.

7- आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं
बरसो बाद भी उन्हें देखा तो दुवाए मांग बैठा !!

8- जिन्दगीं में किसी का साथ काफी हैं,
कंधे  पर  किसी का  हाथ  काफी हैं,
दूर हो या पास...क्या फर्क पड़ता हैं,
    "अनमोल रिश्तों"
का तो बस "एहसास" ही काफी हैं !

9- काश कही से मिल जाते वो अलफ़ाज़
हमे भी..!!|
जो तुझे बता सकते कि हम शायर कम,
तेरे दीवाने ज्यादा हैं..!!

Shayari Part-24

1- बहुत उदास है कोई तेरे जाने से,
हो सके तो लौट आ किसी बहाने से...!!

2- तुम याद आओगे यकीन था...........
इतना आओगे अंदाजा न था.....

3- सब्र रखो जल्द ही महसूस होगा तुम्हें,
मेरा होना क्या था मेरा न होना क्या है!

4- चाँद ने खूब सहा है सूरज की अगन
तेरी ये आग मुझसे न सही जाती है

5- वफादार और तुम...?? ख्याल अच्छा है.
बेवफा और हम...?? इल्जाम भी अच्छा है.

6- ठान लिया था कि, अब और शायरी नहीं लिखेंगे....
पर उनका पल्लू गिरा देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे...!!

7- तमन्ना तेरे जिस्म की होती तो छीन लेते दुनिया से,;
इश्क तेरी रूह से है इसलिए, खुदा से मांगते हैं तुझे

8- शीशे में डूब कर, पीते रहे उस जाम को,
कोशिशें की बहुत, मगर भुला न पाए एक नाम
को..!!

9- तुम गऐ, तो मेरी आँख मे कुछ चला सा गया ये ना कहता तो क्या रो देता सामने सबके

10- बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ...!
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते...।।

11- उसकी जित से होती है, खुशी मुझे...
यही जवाब मेरे पास, अपनी हार का है... ||

12- कौन कहता है की दिल.. सिर्फ लफ्जों से दुखाया जाता है,
तेरी ख़ामोशी भी कभी कभी.. आँखें नम कर देती है.

13- नेक बनने के लिए ऐसी कोशिश करो
जैसी
कोशिश खूबसूरत दिखने के लिए करते हो......

14- खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों,
मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है

15- आँखो से नूर देती है माँ ।
अपने जीवन से जीवन देती है माँ ।।
भगवान क्या माँ को पुजो ,
क्योकि भगवान को जन्म देती है माँ ।।

16- वक़्त से लड़कर जो नसीब बदल दे;
इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे;
कल होगा क्या, कभी ना यह सोचो;
क्या पता कल खुद वक़्त अपनी तस्वीर बदल दे।.

17- मैं तेरे नसीब की बारिस नहीं जो तुज पे बरस जाऊ।।
तुझे तक़दीर बदलनि होगी मुझे पाने के लिए ।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

Shayari Part 102

तेरी ईसी अदा पर मै कुर्बान हु
तुम चाहत करो या ना करो पर तुम ही मेरी दुवा और तुम ही अजान हो

==============
कितना अजीब इत्तेफ़ाक है ना...
कल हम जिसे जानते भी नहीँ थे,
आज वो हमारी जान है....

===============
देखना .. एक दिन बदल जाऊगा पूरी तरह मैं
तुम्हारे लिए न सही..
लेकिन...
तुम्हारी वजह से ही सही..

==============
प्यार का मतलब तो नहीं मालूम मुझे,
मगर जब जब तुजे देखू तो दिल धड़कने लगता है..

===========
बस एमनी जोड़े एटलो ज सबंध छे मारो...
ज्यारे इ दुःखी होय छे त्यारे मने ऊंघ नथी आवती...

=============
हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम,
फिर वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम.”.

=============
कुछ ऐसा अंदाज है उनकी हर अदा में,
के तस्वीर भी देखु उनकी तो,
ख़ुशी तैर जाती है चहेरे पर..

=============
बेचैन इस कदर थी,सोयी न रात भर...
पलकों से लिख रही थी,तेरा नाम चाँद पर..

==============
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना, कभी बात करने की हसरत तो कभी देखने की तमन्ना !

=============
पास आकर देख मेरे अहसास की सिद्दत,,,
मेरा दिल कितना तेजी से धङकता है
सिर्फ तेरे नाम से......!!

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

तेरी डोली उठी मेरी मैय्यत उठी

तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी;
फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू सज गई, मुझेसजाया गया;
तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू उठ के गई, मुझेउठाया गया;
महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
उनका हंसना वहां,इनका रोना यहां;
काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था;
दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े;
तेरा "निकाह" पढ़ा, मेरा "जनाजा" पढ़ा;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तूझे अपनाया गया,मुझे दफनाया गया !

Shayari Part.83

1- ना रख इतना गरूर ..अपने नशे में ए शराब तुझ से जयदा नशा रखती है, आँखें किसी की.

2 - बडी खामोशी से भेजा था गुलाब उसको पर खुशबू ने शहर भर में तमाशा कर दिया.

3 - तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं , इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए...

4 - जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना , मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है...

5 - उससे कह दो कि मेरी सज़ा कुछ कम कर दे , हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं बस गलती से इश्क हुआ था...

6 - तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ कुछ कहते हुए भी डरता हूँ कहीं भूल से तू ना समझ बैठे की मैं तुझसे मोहब्बत करता हू

7 - उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना
करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!!!!

8 - जिसे पूजा था हमने वो खुदा तो न बन सका ,
हम ईबादत करते करते फकीर हो गए …!!!

9 - वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह
दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो
.!!!

10 - जलते हुए दिल को और मत जलाना ,
रोती हुई आँखों को और मत रुलाना ,
आपकी जुदाई में हम पहले से मर चुके है ,
मरे हुए इंसान को और मत मारना.

11 - जरा सी चोट से शीशे की तरह टूट गया ,
दिल तो कमबख्त मेरा मुझसे भी बुजदिल
निकला ………

Shayari Part 23

मेरे दिल ने अपनी वसीयत में लिखा है मेरा कफ़न भी उसी दूकान का लाना
जहाँ से वो अपना दुपट्टा खरीद ती है
============
प्यार तो हमारा 24 कँरेट था..शायद उनकी खरीदने की औकात ना थी...!
=====≠=======
उसके हाथों पर अपना नाम देखा, तो मैं बहुत खुश था
वो बड़े मासूम से लहज़े में बोली, तेरे हमारे नाम और भी है.,....

जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
*******
हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे
हम तो,
बस इतना चाहते है की
कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ..
*********
अब इन आँखों से भी जलन होती हैं मुझे !
खुली हो तो याद तेरी, और बंद हो तो ख्वाब तेरे !
*********
“हर नज़र को 1 निगाह का हक़ है,
हर नूर को 1 आह का हक़ है.
हम भी दिल लेकर आये है इस दुनिया में,
हमे भी तो 1 गुनाह का हक़ है”
********
‘कभी वक्त मिले तो रखना कदम ,
मेरे दिल के आगंन में !
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में ,
अपना मुकाम देखकर’
*********
” मत किया करिये दिन के
उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर,
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं
यहाँ चाँद से दिन निकलता हें”
********
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ.
********
तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो, यु तुम हमें
इशारा ना करो..
दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी,
तुम तन्हाइयों में यूं तडपया ना करो…
***********
“हर सागर के दो किनारे होते है,
कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है,
ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो,
क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है.”
********
और कुछ भी दरकार नहीँ मुझे तुझसे मौला ,
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे..!!
********
वो न आए उनकी याद वफ़ा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई,
आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई.
*******
जमाने से कब के गुजर गए होते,
ठोकर न लगी होती तो बच गए होते,
बंधे थे बस तेरी दोस्ती के धागे में,
वरना कब के बिखर गए होते |
******
जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार होता है,
लोग हारते भी है तो अपनी ही रानी से 
*********
ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..!!
मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता ,,
आवारा ना बनता तो क्या करता ..?
*********
आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई,
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें ..!!

Shayari Part 22

कदम उठने नहीं पाते, के रास्ता काट देता है|
मेरे मालिक मुझे आखिर तू कब तक आजमाएगा||
=-=-=-=-=
हमने भी सोकर देखा हैं नए पुराने सहरो में
पर जैसा भी हो अपने गर का बिस्तर अच्छा लगता
हैं
=-=-=-=-=
ठिकाना कब्र है तेरा, इबादत कुछ तो कर ग़ाफिल,
कहावत है कि खाली हाथ घर जाया
नहीं करते..
=-=-=-=-=
फ़िक्र-ऐ -ज़िन्दगी ने थोड़े फासले बड़ा दिए हैं वरना
सब दोस्त साथ ही थे ,अभी कल
की ही तो बात हैं
=-=-=-=-=
क्या हुआ जो बदल गयी है दुनिया
मैं भी तो बहोत बदल गया हूँ
=-=-=-=-=
मोहब्बतें तो कभी रास न आई हमको
नफरतों के बीच कभी हम रहे
ही नहीं
=-=-=-=-=
तहज़ीब में भी उसकी क्या
ख़ूब अदा थी,,
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर.!!!!!
=-=-=-=-=
हर शख्स दौड़ता हैं यहाँ भीड़ की
तरफ
फिर भी चाहता है उसे रास्ता मिले
=-=-=-=-=
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी ,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी
=-=-=-=-=
ख़ुदा को पा गया वाइज़ मगर है ,
ज़रूरत आदमी को आदमी की
=-=-=-=-=
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे ,
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
=-=-=-=-=
वक्त रहता नहीं कहीं छुपकर ,
इस की आदत भी आदमी
सी है.
=-=-=-=-=
आदमी आदमी से मिलता है ,
दिल मगर कम किसी से मिलता है.
=-=-=-=-=
एक ही चौखट पे सर झुके
तो सुकून मिलता है
भटक जाते हैं वो लोग
जिनके हजारों खुदा होते हैं
=-=-=-=-=
यह शहर जालिमो का है संभल कर चलना
लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते
हैं
=-=-=-=-=
मेरी इबाबतो को ऐसे कर कबूल ऐ खुदा
के सजदे में ,मै झुकू तो हर रिश्तों कि जिन्दगी सवर
जाये !
=-=-=-=-=
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर....
जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर.....
=-=-=-=-=
वाह रे जिन्दगी ! भरोसा एक पल का भी
नहीं तेरा,
और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा...
=-=-=-=-=
भूल जाओ उन तारीखो को जो चाबुक बन कर बरसे
याद रखो वो पल जो तुम्हारी यादो में खुशियो के संग
बरसे.
=-=-=-=-=
चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान
कयोकि बदलने वाले अक्सर बेहद अजीज
ही हुआ करते हैं...
=-=-=-=-=
मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था, वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे..
=-=-=-=-=
पोंछ लो अपने बहते हुए आँसुओ को
भला कौन रहना पँसद करता है टपकते हुए मकानोँ मेँ
=-=-=-=-=
भरोसा "खुदा" पर है, तो जो लिखा है तकदीर में, वो
ही पाओगे।
मगर, भरोसा अगर "खुद" पर है, तो खुदा वही
लिखेगा, जो आप चाहोगे ।।
=-=-=-=-=
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है जिसमें
जीने की चाहत होनी
चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे, सिर्फ
मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये.
=-=-=-=-=
अजीब तमाशा है मिट्टी के बने लोगों का
यारों,
बेवफ़ाई करो तो रोते हैं और वफ़ा करो तो रुलाते हैं!
=_=_=_=_=
क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो,, हम लोग मुहब्बत की कहानी में मरे हैं ..!!

झुठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता,
मगर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने …”
=-=-=-=-=
तुझे हर बात पे मेरी जरूरत पड़ती ,
काश मैं भी कोई झूठ होता ………”
=-=-=-=-=
ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो , देखना कोई
बेवफा पास न हो .
अगर हो तो उस से कहना, आज तो खुशी का
मौका है, उदास न हो .
=-=-=-=-=
अंधेरे मे रास्ता बनाना मुश्किल होता है,
तूफान मे दीपक जलना मुश्किल होता है ,
दोस्ती करना गुनाह नही ,
इसे आखिरी सांस तक निभाना मुश्किल
होता है .
=-=-=-=-=
पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती ;
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती ;
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है ;
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।

तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता ह

Shayari Part 21

जब हुई थी मोहब्बत तो लगा किसी अच्छे
काम का है सिला।
खबर न थी के गुनाहों कि सजा ऐसे भी
मिलती है।
=-=-=-=-=
कल रात मैंने अपने सारे ग़म कमरे की दीवारों पे
लिख डाले ,
बस हम सोते रहे और दीवारें रोती रहीं …
=-=-=-=-=
“ संग ए मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को ,
बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना
दिया .
=-=-=-=-=
क्या हुआ अगर जिंदगी में हम तन्हा है ???
लेकिन इतनी अहमियत तो दोस्तो में बना ही
ली है कि …
मेला लग जायेगा उस दिन शमशान में,
जिस दिन मैँ चला जाँऊगा आसमान में !!
=-=-=-=-=
जब भी देखा मेरे कीरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
=-=-=-=-=
ले रहे थे मोहब्बत के बाज़ार में इश्क की चादर …
लोगो ने आवाज़ दी कफन भी ले लो…
=-=-=-=-=
इश्क करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना ,
ए दोस्त
इसमें हँसते साथ है पर रोना अकेले ही पड़ता है .
=-=-=-=-=
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर …
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है ….
=-=-=-=-=
थक गया हूँ मै, खुद को साबित करते करते ,
दोस्तों ..
मेरे तरीके गलत हो सकते हैं , लेकिन इरादे नहीं
…!!!
=-=-=-=-=
तलाश है इक ऐसे शक्स की , जो आँखो मे उस
वक्त दर्द देख ले ,
जब दुनियाँ हमसे कहती है , क्या यार तुम हमेशा
हँसते ही रहते हो ..

शनिवार, 10 अक्तूबर 2015

Shayari Part.20

1 ना छेड किस्सा -ए -उल्फत , बडी लम्बी
कहानी है ,
मैं ज़माने से नहीं हारा , किसी की बात
मानी है ,,,,,, ।।

2 “ शाम खाली है जाम खाली है, ज़िन्दगी यूँ
गुज़रने वाली है,
सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा,मैने तन्हाई
मगर बचा ली है ”

3 आग सूरज मैँ होती हैँ जलना जमीन को पडता
हैँ,
मोहब्बत निगाहेँ करती हैँ तडपना दिल को
पडता हैँ.

4 शायरी इक शरारत भरी शाम है ,
हर सुख़न इक छलकता हुआ जाम है ,
जब ये प्याले ग़ज़ल के पिए तो लगा
मयक़दा तो बिना बात बदनाम है ….

5. कभी रो के मुस्कुराए , कभी मुस्कुरा के रोए ,
जब भी तेरी याद आई तुझे भुला के रोए ,
एक तेरा ही तो नाम था जिसे हज़ार बार लिखा,
जितना लिख के खुश हुए उस से ज़यादा मिटा
के रोए ..

6. सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई ,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई ,
जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों
से ,
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई .

7. देख के हमको वो सर झुकाते हैं ,
बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं,
नफरत हैं तो कह देते हमसे,
गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं ..

8  तरक्की की फसल , हम भी काट लेते ..!
थोड़े से तलवे, अगर हम भी चाट लेते ..!!

9. किसी साहिल पे जाऊं एक ही आवाज़ आती
है
तुझे रुकना जहाँ है वो किनारा और है कोई !

10  नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से।
मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले।

सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

Shayari Part.1

कितना मुश्किल है दुनिया में
ये हुनर अपनाना,
तुमही से प्यार करना और
तुमसे ही फासलें रखना !
=_=_=_=_=_=_=_=
मेरे लिए किसी "कातिल" का इन्तजाम न कर,

करेँगी कत्ल खुद मेरी "जरुरतेँ" मुझको।
=_=_=_=_=_=_=_=
बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग ,,
“……क्यूकी…….”
हम रानियो के सामने झुका नहीं करते….!!
=_=_=_=_=_=_=_=
नींद भी महबूबा बन गई है,
बेवफा रात भर नहीं आती......  
=_=_=_=_=_=_=_=
दरवाजे तेरे कितने भी बड़े कर दिए तूने
मेरे दोस्त...
कास दिल भी थोडा बड़ा कर लेता...
तेरे घर पर आने वाले तेरे दरवाजे देख कर नहीं दिल देख कर आयेंगे...।
=_=_=_=_=_=_=
उसको रब से इतनी
बार माँगा है कि अब..!!

हम सिर्फ हाथ उठाते हैं सवाल फ़रिश्ते खुद लिख देते हैं....!!
=_=_=_=_=_=_=
कुछ अमल भी ज़रूरी है  इबादत के लिए
दोस्तों
सिर्फ सजदा करने से किसी को जन्नत नहीं मिलती.... !!
=_=_=_=_=_=
ज़ंजीर बदली जा रही थी…

मैं समझा था, रिहाई हो गयी है..!
तेरे लबों को मेरे लब कुछ ऐसे जानते हैं 

  जैसे कोई शराबी शराब को
=_=_=_=_=_=_=
फासलों का अहसास तब हुआ?
जब मैंने कहा - मैं ठीक हूँ!
और उसने "मान लिया....
=_=_=_=_=_=_=_=_=
"कुछ अल्फ़ाज़ की
तरतीब से बनती है शायरी

और कुछ चेहरे भी पूरी ग़ज़ल होते है....
=_=_=_=_=_=_=_=_=
रोज सुबह-सुबह जोर जोर से आवाज़ आती है..
भँगार दे दो,
टूटा-फूटा सामान दे दो,
रद्द्दी दे दो...
कितनी बार मन मे आता है कि पूछ ही लूँ कि,
अधूरी इच्छा और टूटे हुए सपनों का क्या दोगे,
जो बरसों से इकट्ठा कर के रखे हैं ..
=_=_=_=_=_=_=
चली आती है कमरे में दबे पाँव ही,
हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं,.,!!
=_=_=_=_=_=_=_=
अंजाम की परवाह होती तो
हम इश्क करना छोड देते ।
प्यार मे जिद होती है ।
और जिद के हम बादशाह हे।।।  
=_=_=_=_=_=_=_=
कुछ लोग बडे होने के वहम में मर गये… और जो लोग बडे थे वो अहम में मर गये…
=_=_=_=_=_=_=_=
एक कब्रिस्तान के बाहर बोर्ड पे लिखा
था .....
मंजिल तो मेरी यही थी ,

बस ज़िन्दगी बीत गयी यहाँ तक आते
आते ..............
=_=_=_=_=_=
तेरा चेहरा हैं जब से मेरी आँखों मैं....लोग मेरी आँखों से जलते हैं !
=_=_=_=_=_=
कालेज मे मिलती होगी डिग्रिया ... पर आज भी लोग तजुर्बे हमसे लेके जाते हैं...  
=_=_=_=_=_=
दुनिया में हर काम मुर्हूत से होता है, सिर्फ 2 काम ही बिना मुर्हूत से होता है, दुनिया में आना,और दुनिया से चले जाना और ये दोनों काम 100%सफल होते है,   
=_=_=_=_=_=
मेरी फितरत मे नही है किसी से नाराज होना, नाराज वो होते है जिनको अपने आप पर गुरुर होता है।