मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

Shayari Part.83

1- ना रख इतना गरूर ..अपने नशे में ए शराब तुझ से जयदा नशा रखती है, आँखें किसी की.

2 - बडी खामोशी से भेजा था गुलाब उसको पर खुशबू ने शहर भर में तमाशा कर दिया.

3 - तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं , इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए...

4 - जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना , मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है...

5 - उससे कह दो कि मेरी सज़ा कुछ कम कर दे , हम पेशे से मुज़रिम नहीं हैं बस गलती से इश्क हुआ था...

6 - तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ कुछ कहते हुए भी डरता हूँ कहीं भूल से तू ना समझ बैठे की मैं तुझसे मोहब्बत करता हू

7 - उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना
करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!!!!

8 - जिसे पूजा था हमने वो खुदा तो न बन सका ,
हम ईबादत करते करते फकीर हो गए …!!!

9 - वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह
दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो
.!!!

10 - जलते हुए दिल को और मत जलाना ,
रोती हुई आँखों को और मत रुलाना ,
आपकी जुदाई में हम पहले से मर चुके है ,
मरे हुए इंसान को और मत मारना.

11 - जरा सी चोट से शीशे की तरह टूट गया ,
दिल तो कमबख्त मेरा मुझसे भी बुजदिल
निकला ………