मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

Shayari Part 22

कदम उठने नहीं पाते, के रास्ता काट देता है|
मेरे मालिक मुझे आखिर तू कब तक आजमाएगा||
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हमने भी सोकर देखा हैं नए पुराने सहरो में
पर जैसा भी हो अपने गर का बिस्तर अच्छा लगता
हैं
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ठिकाना कब्र है तेरा, इबादत कुछ तो कर ग़ाफिल,
कहावत है कि खाली हाथ घर जाया
नहीं करते..
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फ़िक्र-ऐ -ज़िन्दगी ने थोड़े फासले बड़ा दिए हैं वरना
सब दोस्त साथ ही थे ,अभी कल
की ही तो बात हैं
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क्या हुआ जो बदल गयी है दुनिया
मैं भी तो बहोत बदल गया हूँ
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मोहब्बतें तो कभी रास न आई हमको
नफरतों के बीच कभी हम रहे
ही नहीं
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तहज़ीब में भी उसकी क्या
ख़ूब अदा थी,,
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर.!!!!!
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हर शख्स दौड़ता हैं यहाँ भीड़ की
तरफ
फिर भी चाहता है उसे रास्ता मिले
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हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी ,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी
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ख़ुदा को पा गया वाइज़ मगर है ,
ज़रूरत आदमी को आदमी की
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घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे ,
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
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वक्त रहता नहीं कहीं छुपकर ,
इस की आदत भी आदमी
सी है.
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आदमी आदमी से मिलता है ,
दिल मगर कम किसी से मिलता है.
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एक ही चौखट पे सर झुके
तो सुकून मिलता है
भटक जाते हैं वो लोग
जिनके हजारों खुदा होते हैं
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यह शहर जालिमो का है संभल कर चलना
लोग सीने से लग कर दिल ही निकाल लेते
हैं
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मेरी इबाबतो को ऐसे कर कबूल ऐ खुदा
के सजदे में ,मै झुकू तो हर रिश्तों कि जिन्दगी सवर
जाये !
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वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर....
जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर.....
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वाह रे जिन्दगी ! भरोसा एक पल का भी
नहीं तेरा,
और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा...
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भूल जाओ उन तारीखो को जो चाबुक बन कर बरसे
याद रखो वो पल जो तुम्हारी यादो में खुशियो के संग
बरसे.
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चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान
कयोकि बदलने वाले अक्सर बेहद अजीज
ही हुआ करते हैं...
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मैं झुक गया तो वो सज़दा समझ बैठे,
मैं तो इन्सानियत निभा रहा था, वो खुद को ख़ुदा समझ बैठे..
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पोंछ लो अपने बहते हुए आँसुओ को
भला कौन रहना पँसद करता है टपकते हुए मकानोँ मेँ
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भरोसा "खुदा" पर है, तो जो लिखा है तकदीर में, वो
ही पाओगे।
मगर, भरोसा अगर "खुद" पर है, तो खुदा वही
लिखेगा, जो आप चाहोगे ।।
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ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है जिसमें
जीने की चाहत होनी
चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे, सिर्फ
मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये.
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अजीब तमाशा है मिट्टी के बने लोगों का
यारों,
बेवफ़ाई करो तो रोते हैं और वफ़ा करो तो रुलाते हैं!
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क़ब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो,, हम लोग मुहब्बत की कहानी में मरे हैं ..!!

झुठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता,
मगर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने …”
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तुझे हर बात पे मेरी जरूरत पड़ती ,
काश मैं भी कोई झूठ होता ………”
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ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो , देखना कोई
बेवफा पास न हो .
अगर हो तो उस से कहना, आज तो खुशी का
मौका है, उदास न हो .
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अंधेरे मे रास्ता बनाना मुश्किल होता है,
तूफान मे दीपक जलना मुश्किल होता है ,
दोस्ती करना गुनाह नही ,
इसे आखिरी सांस तक निभाना मुश्किल
होता है .
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पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती ;
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती ;
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है ;
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।

तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता ह