सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

Shayari Part.1

कितना मुश्किल है दुनिया में
ये हुनर अपनाना,
तुमही से प्यार करना और
तुमसे ही फासलें रखना !
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मेरे लिए किसी "कातिल" का इन्तजाम न कर,

करेँगी कत्ल खुद मेरी "जरुरतेँ" मुझको।
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बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग ,,
“……क्यूकी…….”
हम रानियो के सामने झुका नहीं करते….!!
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नींद भी महबूबा बन गई है,
बेवफा रात भर नहीं आती......  
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दरवाजे तेरे कितने भी बड़े कर दिए तूने
मेरे दोस्त...
कास दिल भी थोडा बड़ा कर लेता...
तेरे घर पर आने वाले तेरे दरवाजे देख कर नहीं दिल देख कर आयेंगे...।
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उसको रब से इतनी
बार माँगा है कि अब..!!

हम सिर्फ हाथ उठाते हैं सवाल फ़रिश्ते खुद लिख देते हैं....!!
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कुछ अमल भी ज़रूरी है  इबादत के लिए
दोस्तों
सिर्फ सजदा करने से किसी को जन्नत नहीं मिलती.... !!
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ज़ंजीर बदली जा रही थी…

मैं समझा था, रिहाई हो गयी है..!
तेरे लबों को मेरे लब कुछ ऐसे जानते हैं 

  जैसे कोई शराबी शराब को
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फासलों का अहसास तब हुआ?
जब मैंने कहा - मैं ठीक हूँ!
और उसने "मान लिया....
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"कुछ अल्फ़ाज़ की
तरतीब से बनती है शायरी

और कुछ चेहरे भी पूरी ग़ज़ल होते है....
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रोज सुबह-सुबह जोर जोर से आवाज़ आती है..
भँगार दे दो,
टूटा-फूटा सामान दे दो,
रद्द्दी दे दो...
कितनी बार मन मे आता है कि पूछ ही लूँ कि,
अधूरी इच्छा और टूटे हुए सपनों का क्या दोगे,
जो बरसों से इकट्ठा कर के रखे हैं ..
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चली आती है कमरे में दबे पाँव ही,
हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं,.,!!
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अंजाम की परवाह होती तो
हम इश्क करना छोड देते ।
प्यार मे जिद होती है ।
और जिद के हम बादशाह हे।।।  
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कुछ लोग बडे होने के वहम में मर गये… और जो लोग बडे थे वो अहम में मर गये…
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एक कब्रिस्तान के बाहर बोर्ड पे लिखा
था .....
मंजिल तो मेरी यही थी ,

बस ज़िन्दगी बीत गयी यहाँ तक आते
आते ..............
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तेरा चेहरा हैं जब से मेरी आँखों मैं....लोग मेरी आँखों से जलते हैं !
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कालेज मे मिलती होगी डिग्रिया ... पर आज भी लोग तजुर्बे हमसे लेके जाते हैं...  
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दुनिया में हर काम मुर्हूत से होता है, सिर्फ 2 काम ही बिना मुर्हूत से होता है, दुनिया में आना,और दुनिया से चले जाना और ये दोनों काम 100%सफल होते है,   
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मेरी फितरत मे नही है किसी से नाराज होना, नाराज वो होते है जिनको अपने आप पर गुरुर होता है।