मंगलवार, 20 अक्तूबर 2015

Shayari Part.27

1- नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ कि दूकान से , हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि ..!!!!

2- बादशाह तो में कहीं का भी बन सकता हूँ
पर तेरे दिल की नगरी में हुकूमत करने का मज़ा ही कुछ अलग है ………”

3- ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में ,
मेरी मोहब्बत की तौहीन होगी,
मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा ,
और मेरी जान पैदल होगी.

4- “ वो जो हमसे नफरत करते हैं ,
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,
नफरत है तो क्या हुआ यारो,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।

5- एहसान नहीं है जिन्दगी तेरा मुझ पर ,
मैंने हर सांस की यहाँ कीमत दी है।।

6- तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है …
जिसका रास्ता बहुत खराब है …
मेरे ज़ख़्म का अंदाज़ा ना लगा …
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है …

7- वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’
अपने मतलब के लिये और
हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था !

8- ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे ;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।

9- हमने दिल जो वापीस मांगा तो सिर जुका के.
बोले वो तो टुंट गया युहि खेलते खेलते…….

10- एक बार उसने कहा था
मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से
हमने खुद को भी नहीं देखा ”