मंगलवार, 5 जुलाई 2016

Shayari part 17

part 1

1. दीवाने तेरे हैं, इस बात से इनकार नहीं;
कैसे कहें कि हमें आपसे प्यार नहीं;
कुछ तो कसूर है आपकी निगाहों का;
हम अकेले तो गुनेहगार नहीं।
2. नज़र चाहती है दीदार करना;
दिल चाहता है प्यार करना;
क्या बतायें इस दिल का आलम;
नसीब में लिखा है इंतजार करना!
3. उल्फत में अक्सर ऐसा होता है;
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है;
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी;
हमसफर उनका कोई और होता है!
4. हम तो तेरे दिल की महफ़िल सजाने आए थे;
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आए थे;
किस बात की सजा दी तुने हमको बेवफा;
हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आए थे।
5. किसी ने इक नाराज शख्स से पूछा की गुस्सा क्या है,
उस शख्स ने बहुत खुबसूरत जवाब दिया,
दूसरे की गलती की सजा खुद को देना..
6. बरसो की चाहत को बदलते देखा हैं..
चाहने वालो को मुकरते देखा हैं..
कैसे सजाऐं मुहब्बत का जहाँ,
हर सपने को टुट के बिखरते देखा है..
7. कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है।
शमसान मैं जलता छोड़ कर मत जाना,
वरना रूह कहेगी कि रुक जा,
अभी तेरे यार का दिल जलना बाकी है।
8. जब भी मिलेगी वो मुझे सालों के बाद
जैसे हक़ीक़त मिलेगी मुझे ख़यालों के बाद
मैं पूंछूगा उससे ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोयेगी मेरे सवालों के बाद..
9. मुहब्बत तो मेरी आज भी तू है
पर तेरी करतूतों पे मैं शर्मिंदा हूँ,
मर हीं जाता देखकर बेवफाई तेरी
पर दुआ अपनों की, देख आज भी जिन्दा हूँ
10. आज फिर ये दिल बेचैन हो चला
आज फिर किसी की याद आ गई
पलकों ने रोका था जिन अश्कों को
उन अश्कों की फिर से बाढ़ आ गई
आज फिर तेरी याद आ गई...