शनिवार, 23 जुलाई 2016

Shayari part 102

तेरी डोली उठी, मेरी मैय्यत उठी;
फूल तुझ पर भी बरसे, फूल मुझ पर भी बरसे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू सज गई, मुझेसजाया गया;
तू भी घर को चली, मैं भी घर को चला;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तू उठ के गई, मुझेउठाया गया;
महफिल वहां भी थी, लोग यहां भी थे;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
उनका हंसना वहां,इनका रोना यहां;
काजी उधर भी था, मौलवी इधर भी था;
दो बोल तेरे पढ़े, दो बोल मेरे पढ़े;
तेरा "निकाह" पढ़ा, मेरा "जनाजा" पढ़ा;
फर्क सिर्फ इतना सा था,
तूझे अपनाया गया,मुझे दफनाया गया !