चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं !
देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं !
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं !
वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं !
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं !
या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं !
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं !
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हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता--- अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे..!
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत ..
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!!
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है..
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !!
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मै यादों काकिस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुतयाद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँतो,
कुछ दोस्तबहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्तबहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै हर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
कोई girlfriend में busy है
कोई बीवी के पीछे crazy हैं
किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
कोई पढने में डूबा है
किसी की दो दो महबूबा हैं
सारे यार गुम हो गये हैं
तू से आप और तुम हो गये है
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
मैं गुजरे पल को सोचूं तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाने मुद्दत से,
मैं देर रात तक जागू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे
मैं शहर-ऐ-चमन में टहलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।
वो पलभर की नाराजगिया,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।