शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

Shayari part 10

जिंदगी एक आइना है , यहाँ पर हर कुछ छुपाना
पड़ता है|
दिल में हो लाख गम फिर भी महफ़िल में
मुस्कुराना पड़ता है |
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राज ना आयेगा मुजपर अब कोई भी सितम
तेरा ,
ईतना बिखर गया हू कि दरिंदगी भी तेरी
शमँसार हो जाये .
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जिंदगी आ बैठ , ज़रा बात तो सुन,
मुहब्बत कर बैठा हूँ , कोई मशवरा तो दे।
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मेरी सब कोशिशें नाकाम थी उनको मनाने
कि ,
कहाँ सीखीं है ज़ालिम ने अदाएं रूठ जाने कि
..
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यूँ ही वो दे रहा है क़त्ल कि धमकियाँ..,
हम कौन सा ज़िंदा हैं जो मर जाएंगे..

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उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना
करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!!!!
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जिसे पूजा था हमने वो खुदा तो न बन सका ,
हम ईबादत करते करते फकीर हो गए …!!!
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वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह
दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो
.!!!
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जलते हुए दिल को और मत जलाना ,
रोती हुई आँखों को और मत रुलाना ,
आपकी जुदाई में हम पहले से मर चुके है ,
मरे हुए इंसान को और मत मारना.
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जरा सी चोट से शीशे की तरह टूट गया ,
दिल तो कमबख्त मेरा मुझसे भी बुजदिल
निकला ………

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शायद कोई तराश कर किस्मत संवार दे !
यही सोच कर मैं उम्र भर पत्थर बना रहा !!
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ये भी अच्छा हुआ कि ,
कुदरत ने रंगीन नही रखे ये आँसू .
वरना जिसके दामन में गिरते,
वो भी … बदनाम हो जाता …
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आंसुओसे पलके भीगा लेता हूँ याद तेरी आती है
तो रो लेता हूँ
सोचा की भुलादु तुझे मगर, हर बार फ़ैसला
बदल देता हूँ!
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मैं मर भी जाऊ, तो उसे ख़बर भी ना होने देना
….
मशरूफ़ सा शख्स है , कही उसका वक़्त बर्बाद
ना हो जाये …
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एक ही शख्स था मेरे मतलब का दोस्तों
वो शख्स भी मतलबी निकला ……!!!”