शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

Shayari part 12

सब कुछ किया पर नाम ना हुआ,
महोबत क्या कर ली बदनाम हो गए।
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उसने मुज से पुछा .. मेरे बिना रह लोगे ..?? सांस रुक गई.. और उन्हें लगा .. हम सोच रहे है
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तुम किसी और से इश्क कर लो ,
हमें अमीर होने में ज़रा वक़्त लगेगा...
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उस शक्स में बात ही कुछ ऐसी थी..
हम अगर दिल न देते तो जान चली जाती
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वो जान गयी थी ,
हमे दर्द में मुस्कराने की आदत हैं
वो रोज नया जख्म देती थी
मेरी ख़ुशी के लिएे
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कभी तो यकीन कर लो तुम मेरी मोहब्बत का, कहीँ उमर न गुज़र जाये मुझे आज़माने मेँ…
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“कल किसी और ने खरीद लिया
तो शिकायत ऩ करना,
इसलिए आज हम सबसे पहले
तेरे शहर मे बिकने आये है.”
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“अगर मिलती मुझे एक दिन की बादशाही..
तो ऐ दोस्तों…
मेरी रियासत में तुम्हारी तस्वीर के सिक्के चलते…”
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तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो दोस्त ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता....
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तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़;
ये उसे भी जीना सीखा देता है जिसे मरने का शौक़ हो।
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चूम कर कफ़न में लिपटें मेरे चेहरे को ,
उसने तड़प के कहा…. . .
नए कपड़े क्या पहन लिए ,
हमें देखते भी नहीं’…
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जाते जाते उसने पलटकर इतना ही कहा मुझसे मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊँ.
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उनके लिए जब हमने भटकना छोड़ दिया ,
याद में उनकी जब तड़पना छोड़ दिया ,
वो रोये बहुत आकर तब हमारे पास ,
जब हमारे दिल ने धडकना छोड़ दिया..,