शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

Shayari part 8

ये ना पूछ कितनी शिकायतें हैं तुझसे ऐ
ज़िन्दगी,
सिर्फ इतना बता की तेरा कोई और सितम
बाक़ी तो नहीं .
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ग़ज़ल लिखी हमने उनके होंठों को चूम कर ,
वो ज़िद्द कर के बोले … ‘ फिर से सुनाओ ’…..!!”
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मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है ,
कि अब उसको प्यार से भी मेसेज करो,
तो वो पूछती है कितनी पी है?………
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एक बार और देख के आज़ाद कर दे मुझे ,
में आज भी तेरी पहली नज़र के कैद में हूँ …!!
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शुक्रिया मोहब्बत तुने मुझे गम दिया,
वरना शिकायत थी ज़िन्दगी ने जो भी
दिया कम दिया…!!
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नजर में बदलाव है उनकी , हमने देखा है आजकल !
एक अदना सा आदमी भी , आँख दिखा जाता
है !!
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कोई आँखों में बात कर लेता है ,
कोई आँखों आँखों में मुलाकात कर लेता है.
मुश्किल होता है जवाब देना …
जब कोई खामोश रह करभी सवाल कर लेता है !
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हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं ,
और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम ..
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तुझे तो मोहब्बत भी तेरी ऒकात से ज्यादा
की थी …..
अब तो बात नफरत की है , सोच तेरा क्या
होगा…. .
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वो कहने लगी , नकाब में भी पहचान लेते हो
हजारों के बीच ?
में ने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ
था “इश्क”, हज़ारों के बीच .”

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“जाने कब- कब किस- किस ने कैसे-कैसे तरसाया
मुझे ,
तन्हाईयों की बात न पूछो महफ़िलों ने भी
बहुत रुलाया मुझे ”
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में पिए रहु या न पिए रहु , लड़खड़ाकर ही चलता
हु ,
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब
लगती हे
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बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ अपने आप में लेकिन ,
बस तुमको याद करने की वो आदत अब भी है।।
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हमसे ना कट सकेगा अंधेरो का ये सफर …
अब शाम हो रही हे मेरा हाथ थाम लो…. !!!
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तेरी वफाओं का समन्दर किसी और के लिए
होगा,
हम तो तेरे साहिल से रोज प्यासे ही गुजर
जाते हैं !!