शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

Shayari Part.33

1. मुझको ढुँढ लेता है रोज किसी बहाने से,
दर्द वाकिफ हो गया हैँ मेरे हर ठिकाने से...।

2. जाता हुआ मौसम लौटकर आया है,
काश वो भी कोशिश करके देखें…!

3. मैंने जिन्दगी से पूछा..
सबको इतना दर्द क्यों देती हो ?
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया. .
मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हु,
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है !!

4. अब ये न पूछना की..
ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के ,
कुछ अपनी सुनाता हूँ

5. मेरे कदमों के निशान रास्ते से मिटा दो,
ये ना हो के मै इन पर चलके दुबारा तेरे पास आ
जाऊँ!!!!!

6. न गुरूर अच्छा है ना सुरूर अच्छा है..
शायर बन ने की तु ज़िद्द न कर "हरीश"
तु इश्क से दुर ही अच्छा है..।।

7. उसके चले जाने के बाद ..
हम महोबत नहीं करते किसी से ..
छोटी सी जिन्दगी है ..
किस किस को अजमाते रहेंगे|

8. एक बात पूछें तुमसे ..
जरा दिल पर हाथ रखकर फरमायें..
जो इश्क़ हमसे शीखा था ..
अब वो किससे करते हो |

9. क्यूँ करते हो मुझसे
इतनी ख़ामोश मुहब्बत..
लोग समझते है
इस बदनसीब का कोई नहीँ . .

10. तेरे रोने से उन्हें कोई
फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल
जिनके चाहने वाले ज्यादा हो
वो अक्सर बे दर्द हुआ करते ह