रविवार, 22 नवंबर 2015

Shayari Part.44

1. ईश्क की गहराईयो में खूब सूरत क्या है,
मैं हूं , तुम हो, और कुछ की जरूरत क्या है!

2. जो दिल के आईने में हो वही हैं प्यार के काबिल ,
वरना दिवार के काबिल तो हर
तस्वीर होती हैं

3. मरने वाले तो एक दिन बिन
बताए मर जाते है ....
रोज़ तो वो मरते है ....
जो खुद से ज़्यादा किसी को चाहते हैं ....!

4. घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए,
उड़ने को पंख हैं हम ये भी भूल गए...

5. यूँ तो कटे हुए उस पेड को एक जमाना हो गया हैं
मगर ढूँढने अपना ठिकाना एक परींदा रोज आता है.!!

6. बहुत अंधेरा है इस दिल के कमरे में...
सोचता हूँ क्यों न कुछ ख्वाब जलाऐ जाऐं.......

7. आज हम अलग है तो वजह सिर्फ ये है -
उसने मेरी अच्छाई में भी कमियां ढ़ूढ़ी।
और मैंने उसकी कमियों में भी अच्छाई
ढ़ूढ़ी।...

8. कैसे मान लिया तुमने कि मुझको मोहब्बत नहीं रही
एक तेरे अलावा मुझे किसी की ज़रूरत भी तो नही!!

9. ये जो तुम मेरा हालचाल पूछती हो,
कसम से...
बड़ा ही मुश्किल सवाल पूछती हो.. !!

10. चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल तेरा...
डर है कहीं ये ना कह दे की ये हक "तुम्हे" किसने दिया.