शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

Shayari Part.39

1. मत छीन अपना नाम मेरे लब से इस तरह, इस बे नाम ज़िंदगी में तेरा नाम ही तो है जीने का एक सहारा. .

2. मै फिर से निकलूंगा तलाश -ए-जिन्दगी में ....
दुआ करना दोस्तों इस बार किसी से इश्क ना हो

3. गुलाम बनकर जिओगे तो.
कुत्ता समजकर लात मारेगी तुम्हे ये दुनिया
नवाब बनकर जिओगे तो,
सलाम ठोकेगी ये दुनिया….

4. “दम” कपड़ो में नहीं, जिगर में रखो….
बात अगर कपड़ो में होती तो,
सफ़ेद कफ़न में, लिपटा हुआ मुर्दा भी
“सुल्तान मिर्ज़ा” होता.

5. उस जैसा मोती पूरे समंद्र में नही है,
वो चीज़ माँग रहा हूँ जो मुक़्दर मे नही है,
किस्मत का लिखा तो मिल जाएगा मेरे ख़ुदा,
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नही है…

6. वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी…
मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी…
उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना…
वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.

7. कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया..
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का..
कोई भरोसे के लिए रोया..
कोई भरोसा कर के रोया..

8. वक्त बदल जाता है जिंदगी के साथ जिंदगी बदल जाती है
वक्त के साथ वक्त नहीं बदलता दोस्तों के साथ बस दोस्त बदल जाते हैं वक्त के साथ…

9. इश्क़ और दोस्ती मेरी ज़िन्दगी के दो जहाँ है इश्क़ मेरा रूह तो दोस्ती मेरा इमां है
इश्क़ पे कर दूँ फ़िदा अपनी ज़िन्दगी मगर दोस्ती पे तो मेरा इश्क़ भी कुर्बान है

10. जादू है उसकी हर एक बात मे, याद बहुत आती है दिन और रात मे,
कल जब देखा था मैने सपना रात मे, तब भी उसका ही हाथ था मेरे हाथ मे…