शनिवार, 28 नवंबर 2015

Shayari Part.48

L1. होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत,,
वो याद तो आते हैं, पर याद नहीं करते..

2. ए दिल मत कर इतनी मोहब्बत किसी से
इश्क़ मे मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा..

3. क्यों सदा हमको ही इल्जाम दिये जाते हैं,
ये सजा कम तो नहीं है कि जिये जाते हैं।

4. एक चाहत थी..तेरे साथ जीने की ..वरना मोहब्बत तो किसी से भी हो सकती थी

5. कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोचेगी जरूर,
कि हासिल होने की उम्मीद ना थी फिर भी
मोहब्बत करता था..

6. खुल जाता है ,
तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह,
और इसी रौनक में मेरा दिन गुज़र जाता है ..

7. ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय ..
शौक जीने का है मगर.
इतना भी नहीं की मर मर के जिया जाये....

8. तारे भी चमकते हैं
बादल भी बरसते हैं
तुम दिल में हो फिर भी हम
मिलने को तरसते हैं।

9. दिल-ए-ज़ज़्बात किसी पर, ज़ाहिर मत कर,
अपने आपको इश्क़ में, इतना माहिर मत कर...

10. टूटे हुए सपनों और छूटे हुए अपनों ने उदास कर दिया,
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सीखने आया करती थी…