शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

Shayari Part.58

1. भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है मेरा, बल्कि
भीड़ जिसके लिए खड़ी है वो बनना है मुझे !!

2. छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त, मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर.

3. जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना क्योँ कि
बंद पडी घडी भी दिन में दो बार सही समय बताती है

4. "निशानी क्या बताऊ तुझे अपने घर की...
जहाँ तेरी यादे रहती है वहीँ चले आना..."

5. अलफ़ाज़ गिरा देते हैं जज़्बात की क़ीमत
जज़्बात को लफ़्ज़ों में न ढाला करे कोई...

6. मुझसे मत पुछा कर ठिकाना मेरा
तुझ में ही लापता हूँ कही...

7. तूने सभी हसीं चेहरों को उदास किया है ए इश्क,',',
अगर तू इंसान होता..तो मैं तेरा कातिल होता,',',

8. सोचता हूँ.......
टूटा ही रहने दूँ... इस दिल को...
शायरी भी हो जाती है...और जीत भी लेता हूँ कई दिलों को...

9. ईलाज न ढूंढ इश्क का, वो होगा ही नही,..!!
ईलाज मर्ज का होता है, ईबादत का नही.....!!

10. रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना;
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है.