शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

Shayari Part.63

1. कभी आवाज में कशिश थी कभी नजरो में नशा था,
फिर जो तेरा असर होने लगा होश मै खोने लगा

2. हमसे भुलाया नही जाता एक “मुख्लिस” का प्यार,
लोग जिगर वाले है जो रोज़ नया महबूब बना लेते है…

3. अगर है गहराई तो चल डुबा दे मुझ को,
समंदर नाकाम रहा अब तेरी आँखो की बारी है…

4. जाने क्या बात हुई कुछ दूरियों का सा गुमान है,
मेरे महबूब तेरी हर अदा तेरे मौसम का पता देती है

5. फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं,
वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश ‘दिसंबर’ है…

6. इतना भी हमसे नाराज़ मत हुआ करो,
बदकिस्मत ज़रूर हैं हम मगर बेवफा नहीं।

7. आँख खुली तो जाग उठी हसरतें तमाम,
उसको भी खो दिया जिसको पाया था ख्वाव में।

8.  गुज़र गया आज का दिन भी पहले की तरह,
न हमको फुर्सत मिली न उन्हें ख्याल आया…

9. कुछ मुहब्बत का नशा था पहले हमको फ़राज़
दिल जो टुटा तो नशे से मुहब्बत हो गई

10. इतना आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ;
शायद तुमने ही पन्ने छोड़-छोड़ कर पढ़ा होगा मुझे....