बुधवार, 9 दिसंबर 2015

Shayari Part.68

1. चंद खुशियाँ ही बची थी, मेरे हाथो की लकीरो में......!!
वो भी तेरे आंसु पोछते हुए, मिट गई.....!!

2. मोका दीजिये अपने खून को किसी की रगों में बहने का...
ये लाजवाब तरीका है,,,बहुत जिस्मो में जिन्दा रहने का....

3. कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे…,, टूट कर बिखर जाओगे ।
जीना है तो पत्थर की तरह जियो; जिस दिन तराशे गए… “खुदा” बन जाओगे ।।

4. क्यूँ करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मुहब्बत...
लोग समझते है इस बदनसीब का कोई नहीँ....

5. टूटने क़े बाद भी उनके लिए ही धडकता है...
लगता है मेरे दिल का दिमाग खराब हो गया है..

6. ये ज़ुल्फों को चेहरे पर लाने का अंदाज़  , अच्छा है, जनाब  ,
हुस्न किश्तों में दिखे तो  , दिल एक साथ खर्च नहीं होता..!!!

7. अकेला वारिस हूँ उसकी तमाम नफरतों का,
जो शख्स सारे शहर में प्यार बाटंता है…

8. चुपके से गुजार देंगे जिंदगी नाम तेरे,
लोगों को फिर बताएंगे प्यार ऐसे भी होता है…

9. तू बेशक अपनी महफ़िल में मुझे बदनाम करती हैं…
लेकिन तुझे अंदाज़ा भी नहीं कि वो लोग भी मेरे पैर छुते है
जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है

10. तुम दूर बहुत दूर हो मुझसे.. ये तो जानता हूँ मैं...
पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है ये बात तुम भी कभी न भूलना