रविवार, 6 दिसंबर 2015

Shayari Part.66

1. शुक्र करो कि दर्द सहते हैं, लिखते नहीं
वर्ना कागजों पे लफ्जों के जनाजे उठते....

2. बहुत अंदर तक जला देती है....!
वो शिकायतें जो बयाँ नही होती...!!

3. हम तो लिख देते हैं जो भी ज़हन में आता है,
दिल को छू जाए तो इत्तफाक ही समझिए......!!

4. मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ "नमी" है?
वजह तू नहीं तेरी ये "कमी" है...

5. आज कुछ नही है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ,
कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो..

6. जिनके दिल अच्छे होते है।
किश्मत हमेशा उन्ही की ख़राब होती है ।।

7. लिखना है मुझे भी कुछ गहरा सा जिसे कोई भी पढें समझ बस तुम सको

8. है थोड़ी दूर अभी सपनो का नगर अपना ..
मुसाफिरो अभी बाक़ी है कुछ सफर अपना

9. लोग आज भी तेरे बारे में पूछतें हैं, कहा है वो,
मैं बस दिल पर हाथ रख देता हू..

10. खुद में झाँकने के लिए जिगर चाहिये
दुसरे की शनाख्त में तो हर शख्स माहिर है