शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

Shayari Part.78

1. शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई,
तुझे भुलाने की जिद्द थी, मगर तेरी आदत सी हो गई..!

2. बस कर सको तो, एहसास कर के देख लो,
अल्फ़ाज़ों को अब बोलना, अच्छा नहीं लगता।

3. साँसों का टूट जाना, तो आम सी बात है दोस्तों..
जहाँ अपने बदल जाये, मौत तो उसे कहते है…!

4. जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है

5. जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा
इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से ख़रीदा है

6. और भी बनती लकीरें दर्द की शायद कई
शुक्र है तेरा खुदा जो हाथ छोटा सा दिया

7. मेरी कबर पे वो रोने आये हैं
हम से प्यार है ये कहने आये हैं
जब ज़िंदा थे तो रुलाया बहुत
अब आराम से सोये हैं तो जगाने आये हैं

8. अपनी तन्हाई में अक्सर तेरी हस्ती से जुदा
मैं सोचता रहता हूँ की क्या सोच रहा हूँ

9. आपने तीर चलाए तो कोई बात नहीं,
हमने जख्म दिखाए तो बुरा मान गए।............

10. जिस दिन तुम किसी दुसरे की बहेन की इज्ज़त के लिए लड़ोगे
बस उसी दिन तुम्हारी बेहेने अपने आप सुरक्षित हो जाएगी