शनिवार, 12 दिसंबर 2015

Shayari Part.81

1. अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा..
तो हम तुमसे नही…. तुम हमसे मोहब्बत करते

2. खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ दोस्तों ! सिक्के हमारे मिजाज़ के, चलेंगे जिस रोज !!

3. अगर फुर्सत के लम्हों मे तुम मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.

4. हर किसी को मैं खुश रख सकूं वो सलीका मुझे नहीं आता..
जो मैं नहीं हूँ, वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता ।

5. तज़ुर्बा है मेरा..मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,
संगमरमर पर तो हमने …..पाँव फिसलते देखे हैं…!

6. किसी ने विश्वास तोडा किसी ने दिल..
और लोगों को लगता है कि..बदल गये हम।

7. कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियां,
ना नफरत की वजह मिल रही है, ना मोहब्बत का सिला

8. कुछ यूँ होगा “बादशाहत” का नज़राना हमारा
कि पूरा शहर आएगा बंद “आखें ” देखने हमारी

9. अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।

10. तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता !!