बुधवार, 9 दिसंबर 2015

Shayari Part.70

1. ज़मीन ने मुझसे कहा रोक अपने आंसूओं को बहने से आशिक़,
इतना दर्द है इनमें के जहां जहां गिरे मुझे बंजर बना गए.

2. तुम दूर बहुत दूर हो मुझसे.. ये तो जानता हूँ मैं...
पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है ये बात तुम भी कभी न भूलना

3. इतना बुरा तो न था कि नज़रें न उठे
ऊँगली उठा के नज़रें फेर ली उसने।

4. तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये रात.!!
गुजर तो जाते हैं मगर गुजारे नहीं जाते.!!

5. यही फर्क है तेरे मजहब और मेरे धर्म में ...
तेरे यहां चाँद देखकर कत्ल किये जाते है,
मेरे यहां चाँद देखकर लम्बी उम्र की
कामना की जाती है ...

6. न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।
बस
सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत।।

7. पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद...!
कुछ गिर गया है आँख में. कह कर हम रो पड़े.!

8. मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती,
तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..

9. तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया,
मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही..

10. उन्हेँ याद तो हम भी आते होँगे...
वफाओ का जब कोई जिक्र करता होगा ।।