गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

Shayari Part.53

1. चलो फिर से अजनबी बन जाते है
कम से कम आँखों से तो बात होगी

2. कैसे करुं मैं तेरी यादों की गिनती...
कोई सांसों का हिसाब रखता है भला..!!

3. दो घड़ी सुन लो मुझे भी तो कोई
अल्फाज इतने हो गए है कि एक दूसरे से उलझने लगे है

4. पानी समुन्दर में हो या आँखों में,
गहराई और राज दोनों में होते हैं..

5. सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।

6. मत करवाना मोहब्बत हर किसी को ए खुदा,
हर किसी में जीते जी मरने की ताक़त नही होती ...????

7. अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको...
...यहां झील सी गहरी ख़ामोशी है....

8. उसे एहसास तो होगा मगर कुछ देर से शायद,,,
हिना का रंग चढ़ने में ज़रा सा वक़्त लगता है..!

9. अजब हाल है, तबियत का इन दिनोँ..
'खुशी', खुशी नही लगती, और 'गम' बुरा नही लगता..

10. अगर चाहुँ तो एक पल में तुम्हें भुला दुँ...
पर चाहने से क्या होता है,,,
चाहता तो में तुम्हे भी बहुत था